Swati Sharma

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15-dec-2021 लेखनी कहानी प्रतियोगिता "उम्र का आखिरी पड़ाव""

            कमला जी आराम से कुर्सी पर बैठी हुई कुछ सोच रही थीं, तभी उनकी २१ वर्षीय पौत्री खुशी वहां आ पहुंची। उन्हें गहरी सोच में डूबा हुआ देख उसने हल्के से उनके कंधे पर हाथ रखा। परंतु, कमला जी इतनी गहरी सोच में खोई हुई थीं कि उनका ध्यान खुशी की ओर गया ही नहीं। खुशी ने उन्हें थोड़ा ज़ोर से हिलाया तो उनकी तंद्रा टूटी। खुशी से बोलीं -" क्या हुआ? तू कब आई?"
               खुशी खिलखिलाई और बोली -" यह तो मैं आपसे पूछना चाहती हूं। क्या हुआ? आप कहां खोई हुई हैं?" कमला जी मुस्कुराईं बोलीं -" कुछ नहीं यूंही अपनी अब तक की जीवन यात्रा के विषय में सोच रही थी। कल सामने वाली पड़ोसन आई थी, हमेशा की तरह आज भी अपनी परेशानियों के बारे में चर्चा कर रही थी। उसकी उम्र भी मेरे आस-पास ही होगी। परंतु, अब भी उसे अपने जीवन से संतुष्टि नहीं है।" खुशी मुस्कुराकर बोली - " और आपको?" कमला जी थोड़ा रुकीं और हल्की मुस्कान से बोलीं -" वही तो सोच रही थी मेरी प्यारी बच्ची।"
                खुशी ने पलटकर फिर पूछा- " वही तो मैं पूछ रही हूं, मेरी प्यारी दादी मां कि आप क्या सोच रहीं थीं?" कमला जी ने उत्तर दिया -" बेटा सच कहूं मैं मेरे जीवन से एकदम संतुष्ट हूं। एक बात, जो बहुत ज़रूरी है; वह यह है कि जब हम हमारे उम्र के आख़िरी पड़ाव पर आकर वही सब करते हैं जो कुछ हम जीवन में करते आए हैं और पाते हैं। मैंने जीवन में सदा यही कोशिश की है कि जितना उत्तम अपने जीवन को बना सकूं बना दूं। इसलिए मुझे मेरे जीवन से कोई शिकायत नहीं है। मैंने मेरे जीवन को भरपूर जिया है, और मुझे एक बहुत ही प्यारा परिवार और प्यारे बच्चे भी मिले हैं तो मेरे जीवन से मैं पूरी तरह खुश और संतुष्ट हूं। तुम्हें भी यही सीख देना चाहती हूं मेरी बच्ची कि अपने जीवन को भरपूर जियो और सुंदरतम बनाओ ताकि तुम्हारे 'उम्र के आख़री पड़ाव' में तुम भी संसार से खुशी - खुशी विदा ले सको, और यहां से जाते समय तुम्हारे हृदय पर कोई बोझ ना रह जाए। मनुष्य जीवन बहुत मुश्किल से मिलता है मेरी प्यारी बच्ची इसीलिए इसे भरपूर जियो। बाकी तो तुम ख़ुद ही समझदार हो।" कहकर कमला जी मुस्कुराईं।
                   खुशी दादी मां के गले से झूम गई और बोली -" हां मेरी प्यारी दादी मां मैं आपकी हर सीख की तरह यह सीख भी याद रखूंगी और ना केवल याद रखूंगी बल्कि अपने जीवन में भी इसे अपनाऊंगी। परंतु एक बात यह भी है कि सामने वाली पड़ोसन आंटी की तरह आप अपने बच्चों से किच -किच नहीं करतीं। आपने जैसे आपके जीवन को भरपूर जिया हमें भी जीने दिया।" दोनों दादी- पोती भाव - विभोर हो जाती हैं और इतने में ही कमला जी की बहू दोनों को भोजन हेतु आवाज़ लगाकर पुकार लेती है।

#लेखनी कहानी सफर
#प्रतियोगिता हेतु

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14 Comments

Dipanshi singh

16-Dec-2021 05:00 PM

Very nice 👌

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Swati Sharma

16-Dec-2021 06:50 PM

Thank you

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Rohan Nanda

16-Dec-2021 10:08 AM

👏👏👏😊

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Swati Sharma

16-Dec-2021 04:36 PM

🙏🏻🙏🏻🙏🏻😇

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Swati chourasia

16-Dec-2021 07:12 AM

Very nice 👌

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Swati Sharma

16-Dec-2021 08:18 AM

Thank you

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